शांत वातावरण और मिटटी की महक थी, अँधेरी रात में खिली एक कली थी। शांत वातावरण और मिटटी की महक थी, अँधेरी रात में खिली एक कली थी।
बिस्तर पर भी मन ही मन उन्हें धन्यवाद किया, और पौधे लगाने का फिर निश्चय किया। बिस्तर पर भी मन ही मन उन्हें धन्यवाद किया, और पौधे लगाने का फिर निश्चय किया।
लिखता हूँ दिल की आवाज पर दिमाग इजाजत नहीं देता। लिखता हूँ दिल की आवाज पर दिमाग इजाजत नहीं देता।
ना काट इन पेड़ों को तू, खुद को तबाही के तरफ तू खींचने लगा है.. ना काट इन पेड़ों को तू, खुद को तबाही के तरफ तू खींचने लगा है..
ऋषि भी इरफान के साथ मुल्क छोड़ चले।। ऋषि भी इरफान के साथ मुल्क छोड़ चले।।
खग जग हो या जंगल भारी सब संभव जब संंग ईक नारी।। खग जग हो या जंगल भारी सब संभव जब संंग ईक नारी।।